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दुर्मिल सवैया





दुर्मिल सवैया


सधते रहना कृतिकार बनो, रचते चलना गहना बनना।

शुभ भाव भरो उजियार करो, अँधियार मिटे  रविवार मना।

निज कारज जान रचो जग को, कर दो उसको अति शीतमना ।

बन राम रहीम कबीर सुधी, तुलसी रसखान सुजान घना।


दुर्मिल सवैया


करना मत दूषित बात कभी,अति साफ सफा हर बात कहो।

अति पावन भाव रहे मन में, सब के प्रति राग बहाय रहो।

मत द्वेष करो जलना न कभी, अति मोहक पंथ बनाय बहो।

सब के प्रति नेह किया करना,चलते रहना हर बात गहो।

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 08:18 PM

बेहतरीन

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Muskan khan

01-Jan-2023 07:25 PM

Nice

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